जनरल-ओबीसी कर्मचारी आक्रोशित, राजकीय विभागों में करेंगे काम ठप
शासन के सख्त कदम से जनरल-ओबीसी कर्मचारियों का आक्रोश शुक्रवार को चरम पर पहुंच गया। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने कम ठप करने का ऐलान किया है।
देहरादून, जेएनएन। वार्ता कर मनाने के बजाय छुट्टियों पर रोक और दो मार्च से कार्यालयों में अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों की सूची तलब करने के शासन के सख्त कदम से जनरल-ओबीसी कर्मचारियों का आक्रोश शुक्रवार को चरम पर पहुंच गया। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि सोमवार से सचिवालय समेत प्रदेश के तमाम राजकीय विभागों में सुबह दस बजे तालाबंदी कर दी जाएगी। कर्मचारी परेड ग्राउंड में एकत्रित होंगे, जहां पूरे दिन सभा चलेगी। ऐसे में यदि सरकार अगले चौबीस घंटे के भीतर कर्मचारियों को मनाने में नाकाम रहती है तो पूरे प्रदेश में राजकीय विभागों में कामकाज ठप हो जाएगा। जिसका असर आम लोगों पर भी पड़ना तय है।
उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक के कर्मचारी संगठनों के साथ हुई बैठक के बाद जनरल-ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों ने एक बार फिर दोहराया कि सरकार यदि हठधर्मिता नहीं छोड़ती है तो वह भी हार मानने वाले नहीं हैं। एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि बिना आरक्षण पदोन्नति की लड़ाई अब केवल कर्मचारी संगठनों का मुद्दा नहीं रह गया है। इसमें कई और संगठनों ने समर्थन दिया है। लेकिन सरकार बीस प्रतिशत एससी-एसटी वर्ग को रिझाने के चक्कर में अस्सी प्रतिशत जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के हक की बलि चढ़ाने पर उतारू है।
हैरान करने वाली बात यह है कि कर्मचारियों की मांग पर सकारात्मक रुख अख्तियार करने के बजाय वेतन रोकने से लेकर कार्रवाई करने तक का डर दिखाया जाने लगा है। लेकिन कर्मचारी संगठनों से हुई बातचीत के बाद तय किया गया है कि कर्मचारी बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली को लेकर हर तरह का दंड ङोलने को तैयार हैं। क्योंकि सरकार यदि कार्रवाई करती है तो वह भी आम जनता के सामने बेनकाब होगी। अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल ने कहा कि सरकार कर्मचारी संगठनों को अलग-अलग बुलाकर बांटने की कोशिश में लग गई है। इससे सावधान होने की जरूरत है।
क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे हक में फैसला सुनाया है, जिस पर सरकार देश में कानून लाना चाहती है। यदि ऐसा हुआ तो बिना आरक्षण पदोन्नति का अभिशाप आने वाली कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। बैठक में अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल, केंद्रीय सचिव एलपी रतूड़ी, सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष रमेश रमोला, उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के प्रांतीय प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल अन्य कर्मचारी नेता मौजूद रहे।
शिवराज को दिखा दी कर्मचारियों ने ताकत
मध्य प्रदेश के सपाक्स संस्था के अध्यक्ष डॉ.केसी तोमर ने एसोसिएशन को भेजे अपने संदेश में कहा कर्मचारी अपनी ताकत को कम न समङों। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज चौहान ने कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण को कौन हटा सकता है। इस पर सपाक्स ने फैसला कर लिया कि इसका सबक उन्हें चुनाव में सिखाया जाएगा। नतीजा हमारी सोच और जज्बे के अनुरूप रहा। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार चली गई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सरकार अगर समय रहते नहीं चेती तो उसका भी हश्र यही होने वाला है। उधर, शनिवार को देहरादून नहीं पहुंच सके अन्य राज्यों के संगठनों ने पत्र भेजकर आंदोलन का समर्थन किया है।
आवश्यक सेवाएं बाधित होने पर मचेगा हाहाकार
जनरल ओबीसी कर्मचारियों ने जिस हौसले से बेमियादी हड़ताल के बाद पांच मार्च से आवश्यक सेवाओं को ठप करने का फैसला लिया है। उससे पांच मार्च से प्रदेश में हाहाकार मचना तय है। स्वास्थ्य, परिवहन समेत उन तमाम सेवाओं पर हड़ताल का सीधा असर पड़ेगा। जिससे सीधे आम जनता जुड़ी होती है। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि आंदोलन पूरे लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। ताकि सरकार यह न कह सके कि उन्हें बात सुनने का मौका नहीं दिया गया। अभी हमने बोर्ड परीक्षा को हड़ताल से अलग रखा है, क्योंकि यह बच्चों के भविष्य से जुड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार यह कतई न कहे कि कर्मचारी विकास में बाधक बन रहे हैं। दरअसल यह काम तो सरकार की हठधर्मिता कर रही है।
विश्वासघात पर सख्ती से निपटने का संदेश
यमुना कॉलोनी में कर्मचारी नेताओं की बैठक में उन कर्मचारियों को आड़े हाथों लिया गया जो अभी आंदोलन में प्रतिभाग करने से कतरा रहे हैं। एसोसिएशन ने कहा कि यह लड़ाई किसी एक कर्मचारी के हित की नहीं, बल्कि सबकी है। हड़ताल में सहयोग न करने वाले जनरल-ओबीसी कर्मचारियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखाने के साथ उसे भी मान लिया जाएगा कि वह एससी-एसटी वर्ग का हिमायती है।
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एससी-एसटी से कराएं ड्यूटी
एसोसिएशन ने सरकार को आगाह किया कि गैरसैंण सत्र में एससी-एसटी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए। कहा कि सुनने में आया है कि एससी-एसटी वर्ग ने सभी काम कर लेने की बात कही है। यदि ऐसा है तो वह भी तैयार हैं। जब जरूरत पड़ेगी तो वह भी एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों के बिना दफ्तरों में कामकाज कर लेंगे।
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